Thursday, June 10, 2010

मासूम



बस फ़र्क इतना था कि यह सबऔर तय था होना
उसने नहीं तय किया
,इनका कर्ता कोई और था ....
उसका पैदा होना तय था

एक लिंग का

एक जात का

एक धर्म का

एक विचारधारा का

एक पहचान का

कुछ रिश्तो का

कुछ भेदभाव का

कुछ जिम्मेदारियों का

कुछ शोषण का

- ताहिबा


1 comment:

  1. हाँ, उसने तो यह सब तय नहीं किया था! तय तो यहीं होता है, और उसे भी यहीं सब तय करना होगा. तय करना होगा - वह 'आदमी की और है या की आदमखोर के'! पर यह दुनिया ऐसी है की जो पिसता है, उसे भी पिसने वाले के साथ खड़ी कर देती है. इसलिए उसे मासूमियत छोड़नी होगी और तय करना होगा.

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